तुझको लड़ना है.....
टूटने, गिरने से, इतना भी क्यों डरना है ?
ज़िंदगी एक जंग है !
इसलिए ज़रूरी है ,
कि, मैदान में उतरे तू ;
क्यों कि, तुझको तो लड़ना है ।
जीत का, या हार का ,
तुझको, क्या ही करना है ?
लहू जब तक लाल है तेरा ;
तुझको तो लड़ना है ।
खुद से, खुद के ही खातिर ,
युद्ध तुझको करना है ।
रगों में ज़िद्द है तेरी !
लहू बहने से, फिर क्यों इतना डरना है ?
ज़िंदा है जब तक तू ;
तुझको तो लड़ना है ।
खामोशी से, मौत का इंतज़ार ;
तुझको क्यों करना है ?
खुदसे किए वचन के खातिर
दहाड़ ज़ोर-ज़ोर से भर !
और बस इतना सा याद रख ;
तुझको तो लड़ना है ।
तुझको तो लड़ना है ।।
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