शेर–ओ–शायरी आज के ज़माने में बहुत ही कम लोग हैं जो उन अल्फाज और शब्दों को समझ सकते हैं... हालांकि कई ऐसे लोग हैं जो शेर–ओ–शायरी करते हैं । पर कम लोग ही हैं जो अपने मन के विचारों को स्याही से पन्नो पर उकेरते हैं.. ऐसे तो मैं भी कविता लिखता हूं, पर अपने व्यक्तिगत काम से इतना समय नहीं दे पाते की उनको हर समय कलम की मदद से लिखा जा सके...पर ऐसा बिल्कुल भी नहीं है कि जो लिख नहीं पाते समय से उनके लिए मुश्किल है, पर यह उन लोगो के लिए हैं जो अपने मन की भावनाओ को कहने से थोड़ा सहमते हैं , पर मैं जानता हूं वो अपने अंदर बहुत बड़ा समुंदर लिए हुए हैं। "बेलाल हमराही" हमारे चुनिंदा लोगों में से एक अच्छे मित्र है जो अपनी शेर–ओ–शायरी को व्लॉग में लिखते हैं और अपने मन के विचारों को पन्नों पर भी उकेरते हैं। उनका मन कब किसी की कल्पना को या हकीकत को किसी तरह अपने शेरो शायरी वाले अंदाज़ में बयां कर दे आपको हैरानियत होगी, काफी उम्दा तरीके से बेलाल उर्दू के शब्दों को एक फूल के हार की तरह सजा देते हैं। मैं उनकी इस किताब के लिए उनको बहुत बहुत मुबारक बात देना चाहूंगा और खुदा से दुआ करूंगा वो अपने इस प्रयास को कभी न छोड़े हमेशा लिखते रहें और अच्छे लेखक बने।। साथ ही "विज़न मोंक" (WissenMonk) के संस्थापक भार्गव भराली जो की मेरे दोस्त को भी तहे दिल से धन्यवाद करना चाहूंगा कि हमारे मित्र के लिए उन्होंने काफ़ी समय दिया, हिंदी में उन सभी शब्दों को लिखा ये काबिले तारीफ़ है । ~मोहम्मद अकरम
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225,00₹Cena
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