वक़्त की गलियां ...
ज़िन्दगी कोशिशों का ही, एक मेला है !
तू जीते, या फिर , हार जाए ;
यह न सोच, के तू अकेला है ।
हर मुकाम पर, या, खाई में ,
जहां, खुदको तू पाएगा ;
वहां, पद चिन्ह तू ,
किसी न किसी के तो, ज़रूर ही पाएगा !
तो, समय की हवाएं ;
तुझे जिन भी गलियों से गुज़ारे ;
याद रखना, उन्ही गलियों से गुजरे ;
कई और भी तुझ से पहले हैं !
तू, न है पेहला यहां, न है, तू आखरी !
इन वक़्त की हवाओं, से है कई गुज़रे ।
इन गलियों से गुजरे, कई और भी, पहले हैं ।
इन, गलियों से गुजरे,कई और भी, पहले हैं ।।
©FreelancerPoet
very touching lines!!!